बिहार में राहुल ने पकड़ ली लालू वाली ट्रेन! इसलिए कहीं टेंशन में तो नहीं हैं तेजस्वी

पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने में अभी छह महीने से ज्यादा का वक्त बचा है। इस बीच बड़े नेताओं का बिहार आने का सिलसिला लगातार जारी है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा (Jagat Prakash Nadda) और लोकसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) सभी करीब दो-दो बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह फिर बिहार दौरे पर आने वाले हैं। 3 महीने में तीसरी बार बिहार आ गए हैं राहुल गांधी तीन महीने में तीसरी बार बिहार आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी फिर बहस का एक मुद्दा दे गए। तेजस्वी यादव को तो पिछली यात्राओं में भी टेंशन दे चुके हैं। राहुल ने बिहार में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव वाली ट्रेन पकड़ चुके हैं, इसलिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव टेंशन में आ गए हैं। राहुल ने कहा कि दलित, ओबीसी और ईबीसी के लोग अब तक हाशिए पर रहे हैं। सवर्ण ही लीड करते रहे हैं। कांग्रेस का चेहरा अब हाशिए के लोगों को ऊपर लाकर बदलेंगे। राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बना कर इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। तेजस्वी की टेंशन बढ़ा जाते हैं राहुल राहुल गांधी ने पिछली दो यात्राओं में बिहार के जाति सर्वेक्षण को फर्जी बता कर तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। तेजस्वी इसे अपनी उपलब्धि बताते रहे हैं। इस बार कांग्रेस को नया रूप देने के लिए उन्होंने दलित-पिछड़ों पर दांव लगाया। यानी वे भी उसी राह चलने की बात कह गए, जिस पर जातीय आधार पर बनीं क्षेत्रीय पार्टियां पहले से चल रही हैं। RJD आज भी यादव जाति की करती है राजनीति राष्ट्रीय जनता दल (RJD) आज भी यादव जाति की राजनीति करती है। सीएम नीतीश कुमार लव-कुश समीकरण के नेता माने जाते हैं। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टियां भी जाति की ही राजनीति करती है। इनमें तीन तो अभी एनडीए के साथ हैं, इसलिए जातीय आधार पर वोट पाने की राहुल की कोशिश समझ में आती है। पर राजद और वीआईपी का क्या होगा? ये पार्टियां तो उन्हीं जातियों की राजनीति करने वाली पार्टियां हैं, जिनके वोट झटकने के लिए राहुल कांग्रेस को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें कैसा लगेगा राहुल गांधी का यह प्रयास।
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