झारखंड में हेल्थ सर्विसेज हर जिले से गोद लेगा एक गांव, रांची से हुई शुरुआत

रांची : झारखंड हेल्थ सर्विसेज राज्य के हर जिले से एक गांव को गोद लेकर मुफ्त इलाज प्रदान करेगा। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना है। रांची जिले के बुढ़मू प्रखंड से इसकी शुरुआत हुई जहां चैनगढ़ा गांव को चुना गया है। इस गांव में जरूरतमंदों को मुफ्त सेवाएं मिलेंगी और सदर अस्पताल में भर्ती कराने की सुविधा होगी।
सुदूर क्षेत्र का गांव लिया जाएगा गोद
इस पहल के तह गोद लिया जाने वाला गांव सुदूर क्षेत्र का होगा, जहां पर वहां के लोगों को चिकित्सीय सुविधा मिलने में दिक्कत होती हैं। झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन (झासा) के अध्यक्ष डॉ. बिमलेश सिंह ने बताया कि एसोसिएशन के सदस्यों ने मिलकर निर्णय लिया है कि जिस गांव को गोद लिया जाएगा वहां मोबाइल यूनिट लगायी जाएगी और सामान्य बीमारियों की जांच की सुविधा होगी, जिसकी रिपोर्ट उसी दिन दी जाएगी।
रांची के चैनगढ़ा गांव से शुरू हुई है यह खास पहल
इसी कड़ी में इसकी शुरुआत रांची जिले से हो रही है, जहां इस बार बुढमू प्रखंड के चैनगढ़ा गांव को गोद लिया गया है। यहां पर 10 डॉक्टरों की टीम जाएगी और वहां के ग्रामीणों की जांच कर दवा व अन्य चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराएगी।
डॉक्टरों की टीम में जनरल फिजिशियन, सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र चिकित्सक व दंत चिकित्सक मौजूद रहेंगे।
जहां भी कैंप लगाया जाएगा उसमें स्थानीय सीएचसी के प्रभारी व चिकित्सकों की भी मदद ली जाएगी ताकि बेहतर तरीके व कम समय में आने वाले लोगों की जांच हो सके।
इसके तहत सिकल सेल एनीमिया की होगी जांच
बताया जा रहा है कि जिस गांव में जांच कैंप लगाया जाएगा वहां सिकल सेल एनीमिया की जांच होगी। साथ ही हीमोग्लोबिन, शुगर और बीपी की जांच कर चिकित्सीय परामर्श दिया जाएगा।
जांच में जिन मरीजों को भर्ती करने की आवश्यकता होगी उन्हें निशुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराकर सदर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा, जहां उनका पूरा उपचार किया जाएगा।
सिकल सेल एनीमिया के उपचार के लिए अभी सिर्फ सदर अस्पताल में ही हेमेटोलॉजिस्ट की सुविधा उपलब्ध है, जहां रक्त विकार से संबंधित मरीजों का इलाज होता है।
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. बिमलेश बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में हीमोग्लोबिन के कम होने की अधिकतर शिकायतें मिलती है, जिसे लेकर भी लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वे अपने भोजन में किन पौष्टिक चीजों को शामिल करें। खासकर के इसमें वो आहार होंगे जो उनके आसपास मौजूद हैं।
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